Wednesday 4 July 2012

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आईएएस-2013 प्रारंभिक परीक्षा के गिने-चुने दिन बचे हैं। आपने परीक्षा में कामयाबी के लिए पूरे साल कडी मेहनत की है, हर दिन को परीक्षा का अंतिम दिन मानकर खुद को परिश्रम की भट्टी में तपाया है लेकिन वो वक्त अब आया है जब आपकी दिन-रात की मेहनत परीक्षा हॉल में दो-दो घंटे की आजमाइश में साबित होगी। बेशक परीक्षा का चक्रव्यूह घना है। हर द्वार पर आपको छकाने के लिए चुनौतियां ताजादम खडी हैं। हर पग पर प्रतिद्वंद्वियों का पहरा है लेकिन इस सबका यह मतलब नहीं कि आप पीछे हट जाएं, खुद को साबित किए बगैर मोर्चे से हार मान लें। यह वक्त है अपने सभी हथियारों को अंतिम धार देकर खुद को अंतिम रूप से तैयार करने का। यहां परीक्षा के ठीक पहले विशेषज्ञों के माध्यम से हम दे रहे हैं कुछ ऐसी सलाह जो कर सकती है आईएएस में आपकी राह आसान

रिलेक्स स्टडी से मिलेगी कामयाबी

परीक्षा कोई भी हो, उसके लिए योजनाबद्ध अध्ययन की दरकार होती है। लेकिन योजनाबद्ध अध्ययन तभी परवान चढेगा, जब परीक्षा के ठीक पहले आप रिलेक्स स्टडी का फॉर्मूला अपनाते हैं। इस बारे में द स्टडी के निदेशक मणिकांत सिंह बताते हैं कि आईएएस ऐसी परीक्षा है जिसका इंतजार लाखों परीक्षार्थी?पूरे साल करते हैं, ऐसे में यहां जरा सी भूल घातक होती है। इस कारण परीक्षा के ठीक पहले आप हाडतोड मेहनत की जगह खुद को थोडा आराम देते हुए अध्ययन की नीति पर काम करें।

रिवीजन देगा धार

जैसे-जैसे परीक्षा करीब आ रही है, वैसे-वैसे नए अध्ययन का वक्तभी बीतता जा रहा है। ऐसे में अच्छा होगा कि आप नई चीजों को पढने के बजाय जो साल भर पढा है, उसे दोहराएं। स्वयं विशेषज्ञ मानते हैं कि परीक्षा पूर्व अंतिम समय में नई चीजों की पढाई आपकी बनी बनाई रणनीति को कमजोर और मेरिट में गिरावट का कारण बन सकती है। लिहाजा उपयुक्त रहेगा कि आप तैयारी को अंतिम रूपरेखा देते वक्त नई अध्ययन सामग्री का रुख न करें।

क्वालिटेटिव स्टडी पर दें जोर
अमूमन आईएएस परीक्षा में बैठने वाले छात्र दो तरह के होते हैं, एक वे, जो सब कुछ एक साथ पढ डालने में यकीन करते हैं दूसरे वे, जो बेतरतीब अस्त-व्यस्त अध्ययन के स्थान पर परीक्षा के नजरिये से चयनित अध्ययन पर जोर देते हैं।?परीक्षा के ठीक पहले आपको इसी तरीके की जरूरत होती है। ज्यादातर सफल छात्रों से हुई बातचीत से यही बात निकल कर आई कि परीक्षा के दिन करीब आने पर अपनी अध्ययन की गुणवत्ता को बढाकर सेलेक्शन सुनिश्चित किया जा सकता है। आईएएस 2012 में 12वीं रैंक लाने वाले संयम अग्रवाल इसी बात का हवाला देते हुए कहते हैं कि यूं तो परीक्षा की तैयारी के लिए आदर्श?समय सीमा निर्धारित नहीं की जा सकती। लेकिन करीब आती परीक्षा के साथ आप अपनेअध्ययन का पैटर्न बदल कर खुद को कामयाबी के करीब जरूर ला सकते हैं।

एप्टीट्यूड को लेकर न हों परेशान

दृष्टि के निदेशक डॉ. विकास दिव्यकीर्ति कहते हैं कि गत दो वर्षो में आईएएस का पैटर्न बदला है और इसे अब सीसैट यानी सिविल सर्विसेस एप्टीट्यूड टेस्ट के नाम से जाना जा रहा है। कई?छात्र जो पुराने पैटर्न में परीक्षा देते आए हैं, उनके लिए आज एप्टीट्यूड माथे पर सिलवटें ला रहा होगा लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह तो ऐसा विषय है जो आप पढाई के शुरुआती दौर से लेकर अब तक पढते रहे हैं और जीवन के अलग-अलग आयामों में आपको कुदरती तौर पर इसकी आवश्यकता भी पडती रहती है। एप्टीट्यूड टेस्ट प्रशासनिक सेवाओं के आज के दौर में कैंडीडेट्स की क्षमताओं को आंकने का तरीका है। इसमें वही सफल होते हैं जिनमें अभिरुचि संबंधी मौलिक प्रतिभा होती है।

करें जीएस का गहन अध्ययन

यह बात ठीक है कि नए पैटर्न में एप्टीट्यूड का किरदार अहम हुआ है। इसमें कम प्रयास में अंक लाना भी आसान है। पर इसका मतलब यह नहीं कि जीएस पर ध्यान न दें। दृष्टि के डॉ. विकास दिव्यकीर्ति कहते हैं कि आईएएस प्रारंभिक में जीएस का गहन अध्ययन आवश्यक है। यहां खासकर इतिहास, राजनीतिक अध्ययन, भूगोल, अर्थशास्त्र के प्रश्नों की आधारभूत संरचना पर ध्यान देंगे तो फायदा मिलना तय है।

खुद का रखें ख्याल

आईएएस परीक्षा इतना बडा मंच है कि अक्सर छात्र बेहतर तैयारी के बाद भी प्रदर्शन के मोर्चे पर चूक जाते हैं। इसका कारण है- उनका परीक्षा के दबाव में आकर बिखर जाना। मणिकांत सिंह का मानना है कि परीक्षा के ठीक पहले पढाई के साथ-साथ छात्रों को खुद का ख्याल भी रखना होगा। इस दौरान कैंडीडेट्स अपनी नींद के साथ समझौता न करें, पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थो का सेवन करें, दोपहर में सोने से बचें। वहीं इस बारे में डॉ. विकास सुझाव देते हैं कि आईएएस का सिलेबस इतना बडा है कि इस पर पूरा नियंत्रण असंभव है। यह बात तकरीबन हर कैंडीडेट के लिए लागू होती है।

पुराने प्रश्नपत्रों से समझें पैटर्न

वैसे तो पुराने मॉडल टेस्ट पेपर के अध्ययन की सलाह आपको हाईस्कूल से लेकर बारहवीं, ग्रेजुएशन में भी दी गई?होगी। लेकिन सिविल सेवा में पूर्व के मॉडल पेपर्स के अध्ययन का उद्देश्य इसके पैटर्न से परिचित होना है। विशेषज्ञों के अनुसार अगर आप पूर्व के प्रश्नों को देखकर तैयारी करते हैं तो आपकी तैयारी औरों से बेहतर हो सकती है।

निगेटिव मार्किग से सतर्कता जरूरी

इस परीक्षा में निगेटिव मार्किग है। कोई भी गलत जवाब देने पर कैंडीडेट का एक तिहाई अंक कटेगा। आप यदि एक से अधिक विकल्पों पर निशान लगाते हैं, तो भी आपका जवाब गलत माना जाएगा और अंक कटेंगे। ऐसे में विशेषज्ञ मानते हैं कि निगेटिव मार्किग से बचने के लिए आवश्यक है कि छात्र, विकल्प तभी चुनें, जब वे कम से कम 70 फीसदी निश्चिंत हों।

समय का रखें ख्याल

सीसैट के दोनों प्रश्नपत्रों की समयावधि दो-दो घंटे रखी गई है। इसलिए जरूरी है कि पेपर हल करते समय टाइम का खास ध्यान रखें। सेकेंड पेपर में कंप्रीहेंशन व कैलकुलेशन बेस्ड कई क्वैश्चन पूछे जाएंगे, जिनमें ज्यादा वक्त लगेगा।

कैसा है परीक्षा पैटर्न

परीक्षा में पिछली बार की तरह इस बार भी 2-2 घंटे समयावधि के दो प्रश्नपत्र होंगे। पहला पेपर जीएस व दूसरा पेपर एप्टीट्यूड का होगा। सभी प्रश्न बहुविकल्पीय होंगे। निगेटिव मार्किग का भी प्रावधान है।

प्रतियोगिता के विभिन्न चरण

1. सिविल सर्विसेस एप्टीट्यूड टेस्ट (सीसैट)

2. सिविल सेवा मुख्य परीक्षा

3. साक्षात्कार

इन चीजों पर दें ध्यान

1. सीसैट के पेपर में डिसीजन मेंकिंग के 8 सवालों को सबसे पहले करें।

2. इंग्लिश कंप्रीहेंशन के सेक्शन को शुरुआत में ही हल करने की कोशिश करें, क्योंकि यह अमूमन सामान्य होता है। थोडी सी मेहनत से आप इसमें बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।

3. जिन सेक्शन में अच्छा कर सकते हैं, पहले उसे हल करें इसके बाद बाकी चीजें।

4. कई छात्रों की आदत होती है कि वे पहले सवालों को हल कर लेते हैं। इसके बाद एक साथ आंसर शीट भरते हैं। ऐसे छात्रों को सलाह दी जाती है कि वे हर 4-5 प्रश्नों के बाद आंसर शीट भरते चलें। नहीं तो आपका क्रम बिगड सकता है।